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जनजातीय कला एवं हस्तशिल्प मेले का आयोजन 20 नवम्बर से

दिल्ली ! जनजातीय हस्तशिल्प मेला जिसे लोकप्रिय रुप से आदिशिल्प के तौर पर जाना जाता है, देश के अद्वितीय और अति सुन्दर जनजातीय आदिवासी कला को प्रर्दशित करने हेतु तैयार हैं। इसका आयोजन 20 से 30 नवंबरए 2014 के दौरान भारतीय जनजातीय विपणन विकास सहकारी संघ लिमिटेड (ट्राईफेड) द्वारा राजधानी के आईएनए स्थि‍त दिल्ली हाट में किया जायेगा। 

ट्राईफेड 113 स्टॉलों पर अदभुत व बेहतरीन जनजातीय शिल्प कलाओं की प्रदर्शनी करेगा जिसमे देशभर से लगभग 100 से ज्यादा जनजातीय शिल्पकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगें। 11 दिनों के इस आयोजन के दौरान हस्तशिल्प, हथकरघा उत्पाद, सूखे फूल, बेंत व बांस के उत्पाद, जनजातीय आभूषण, ढोकरा शिल्प, जनजातीय बुनाई और कढ़ाई तथा जनजातीय चित्रकला आदि का प्रर्दशन किया जायेगा। 

आदिशल्प आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य जनजातीय दस्तकारों को उनके उत्पादों को प्रर्दशित करने और ग्राहको को सीधे बेचने तथा उनकी प्रतिक्रिया प्राप्त कर महत्वपूर्ण डिजाईन एवं अन्य इनपुट प्राप्त करने का अवसर प्रदान करना है। आदिशिल्प उन्हें कला एवं शिल्प प्रेमियों से प्रत्यक्ष बात करने और शहरी अभिजात्य वर्ग से अपना कौशल साझा करने और ग्राहको से उनकी पसंद व चुनाव जानने हेतु एक बेहतर मंच प्रदान करता है। 

ट्राईफेडए जनजातीय उत्पादों के विपणन विकास हेतु विभिन्न प्रकार के पहल करता रहा है। वर्ष 1999 में 9ए महादेव रोड़ दिल्ली में ट्राइब्स इण्डिया के पहले बिक्री केन्द्र से लेकर अब तक इसने देशभर में अपने 36 व कन्साइनमेंट आधार पर 9 बिक्री केन्द्र खोल लिए हैं। ट्राईफेड, जनजातीय हस्तशिल्प मेलों के आयोजन के जरिये विभिन्न क्षेत्रों/राज्यों से नये जनजातीय शिल्पकारों और उत्पादों की पहचान के जरिये जनजातीय उत्पादों के बारे में पहल करता है। यहाँ जनजातीय दस्तकारों को उनके उत्पादों की प्रर्दशनी एवं ट्राईफेड द्वारा बेचे जाने वाले उत्पादों में उनके उत्पाद शामिल करने हेतु आमंत्रित किया जाता है। उत्पादों में सुधार और बेहतर बाजार प्रत्याशा के लिए उन्हें डिजाईन और गुणवत्ता आधारित इनपुट भी दिये जाते हैं। 

जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत भारतीय जनजातीय विपणन विकास सहकारी संघ भारत सरकार की अकेला ऐसा निकाय है जो पारंपरिक जनजातीय उत्पादों जैसे धातु शिल्प, चित्रकारी, कपड़े, आभूषण, प्राकृतिक, जैविक और आयुर्वेद उत्पादों के विपणन और विकास में संलग्न है। ट्राईफेड का मुख्य उद्देश्य जनजातियों को उनके उत्पादों के लिए उचित पारिश्रमिक सुनिश्चित करते हुए उनके सांस्कृतिक ज्ञान और पारंपरिक कौशल के आधार पर उनके लिए दीर्घकालिक बाजार व विपणन अवसर पैदाकर उनकी आजिविका में सुधार लाना है। ट्राईफेड, जनजातीय शिल्पकारों के क्षमतावर्धन व कौशल उन्नयन हेतु प्रशिक्षणों पर भी ध्यान केंद्रित करता है। 
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