शिवपुरी (IDS-PRO) कृषक भाई फसल बोने से पूर्व बीज उपचार, कल्चर उपचार एवं दलहनी फसलों में अमोनियम मोलिब्डेनम का उपचार करके फसलों की बुबाई कर फसल लागत कम करके 10 से 20 प्रतिशत तक अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते है।
उप संचालक कृषि ने बताया कि नवीन उन्नत तकनीकी एवं नये अनुशंधानों से यह सिद्ध हो चुका है कि बीज उपचार करके हम अपनी फसल को कीट-व्याधि से बचाने के अलावा उर्वरकों की पूर्ति भी कर सकते है जैसे कि रासायनिक या जैविक फफूंद नाशक से बीज उपचार करने पर फसलें भूमि जनित एवं बीज जनित रोगों से तो सुरक्षित रहती ही है साथ ही फसल के प्रारंभिक बढ़वार अवस्था में भी अन्य कोई रोग का प्रकोप नहीं होता है। रासायनिक फफंूदी नाशकों में कार्बेन्डाजिम, थायरम, कार्बोक्सिम, मेन्कोजेव आदि की 2-3 ग्राम मात्रा प्रति किलों ग्राम बीज की दर से उपचारित करते है। जैविक फफंूदी नाशकों में ट्राइकोडर्मा विरडी 5 ग्राम प्रति किलों बीज की दर से बीज को उपचार करके बोना चाहिए। दीमक एवं अन्य भूमिगत कीटों की रोकथाम हेतु 2.5 से 5 मि.ली. मात्रा प्रति किलो बीज की दर से क्लोरों पाइरीफाॅस 20 ई.सी. दवा से उपचारित करना चाहिए।
इसी प्रकार रायजोबियम कल्चर, पीएसबी कल्चर, एजेक्टोबैक्टर, एजोइस्पाइरिलम, पोटाश एवं जिंक मोबलाइजिंग बैक्टीरिया 5 ग्राम प्रति किलो बीज तथा दलहनी फसलों को अमोनियम मोलिब्डेनम 1-2 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित कर बोनें पर उर्वरक की मात्रा कम की जा सकती है।
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